सूरदास जी के पद

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मधुकर! स्याम हमारे चोर मन हरि लियो सांवरी सूरत¸ चितै नयन की कोर।। पकरयो तेहि हिरदय उर-अंतर प्रेम-प्रीत के जोर गए छुड़ाय छोरि सब बंधन दे गए हंसनि अंकोर।। सोबत तें ...

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